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नीला चाँद

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उस नीली सी झील के बीच एक चाँद नज़र आया, नम, खूबसूरत, पाक और बेनिशां, कुछ समझ नहीं आया, काफी देर तक सोचता रहा,  थक कर महीन, नरम रेत से हटने लगा, चलता हुआ बहुत दूर आ गया था शायद, ख्याल आया पलट कर एक नज़र तो डालूँ क्या नज़ारा है..!!! देखा तो अचानक अपनी दीवानगी पर हंस पड़ा .... तेरी आँखों में शायद इतना डूब गया था... आरती

Enchantment

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My heart is troubled – I cannot tell.. My heart is troubled – for someone.. All the long night I lie awake, Dreaming of someone… Someone who enchants me Transports me into heaven.. Through the whole world I would wander, Just for love of someone ! O !  all you holy spirits of love Smile, I pray you, on someone.. ! Watch over him always, and if at all befall Deny not your help to someone… Someone who enchants me Transports me into heaven.. For whom I would… For whom I would… Ah..!!   What I would not..? For someone..!

Solitude

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Holding on to the breath that is craving to pass by, Lurking in the moment that threatens to leave thy, Craving for the beat that heart would defy, Sensing my love with the most envious cry, Oh ! how invincible is the feeling that makes me die, Living in the ocean with a drop of cry, Loving you was not easy but leaving you is, How many breaths I had to skip, with how many beats I had a tiff, Longing for the feeling as long as I live, where heart would come back to me and spell a bliss....

मिनट्स ऑफ मीटिंग

दफ्तर में काम करते हुए या किसी मीटिंग में डिस्कशन करते हुए कई बार हमारे भीतर छुपा एक कलाकार, जो की सामान्यतः इन परिस्थितियों में हमारे सो जाने की प्रक्रिया में जाग ही जाया करता है, हमें तरह तरह के प्रलोभन देता है और लुभाता है कि हम कुछ ऐसा करें कि दिल की हर मुराद ....बस पूरी हो जाये हम जैसे कुछ लोग हैं जो इस बात को स्वीकार करके आगे बढते जाते हैं और स्वप्न देखने का दुस्साहस करते हैं और कुछ सह कलाकार ऐसे होते हैं जो उस प्रक्रिया में अपना कैरक्टर ढूँढने में व्यस्त रहते हैं | ठीक भी है, अगर ऐसे लोग ना हो तो हम जैसे लोगों के सपने कभी हकीकत नहीं बन पाएंगे | आखिर नींद भी एक धर्म है जिसे निभाना ही है... इन्ही सपनों की झालर और विचारों की झड़ी जो की मीटिंग या ग्रुप डिस्कशन में ही जन्म लेती है और वहीँ पर मोक्ष पा जाती है उन्हें आपके सामने रख रही हू |  मैं आभारी हूँ अपने उन सभी कर्मठ कर्मशील और जुझारू सहयोगियों की, दफ्तर की, और उन सभी मीटिंग्स की जहाँ मेरे सपनो को प्लेटफोर्म मिला और वो देखे गए... बिना किसी डर के.. उन्ही मीटिंग्स के आज मैं मिनट्स लिख रही हूँ ...  जहाँ तक इनक

बेलन की महिमा

बेलन की महिमा हर रसोई का श्रृंगार , हर गृहिणी की सफलता का आधार , पति के दिल का खौफ है ये , जब पत्नी के हाथों से बरसे प्यार , आपका बौडी गार्ड है बेलन , किचेन सूना लगे बिन बेलन , रोटियाँ बनाये मजेदार , मनवाए अपनी मांगें हज़ार , बना पकवान रिझाये पति को हर बार अगर न दिलाये हार पति , तो बजाये बार बार सास से हो युद्ध या हो पड़ोसन का सर आपकी असफलता का नहीं है डर परीक्षा की घडी में दबाये कागज़ हज़ार दिवाली पर फोड़े गुल्लक हर बार बेलन के हैं ऐसे चर्चे जैसे शाहरुख़ खान इस को करते थे सलाम बादशाह शाहजहाँ बेलन की है ऐसी शान , जैसे गर्मी के मौसम में फलों का राजा आम बेलन के हैं रूप हज़ार इसकी महिमा अपरम्पार जो करता बेलन का ध्यान मिलते उसे घर में भगवान्... सादर सप्रेम....

भयानक युद्ध

कल रात हो गया ऐ दोस्तों एक हादसा, मैं समझता हूँ कोई १० बजे का वक्त था, एक खटमल मस्त हाथी की तरह झूमता, मेरे बिस्तर पर खुदा जाने कहाँ से आ गया, मैंने उस कमबख्त को चुटकी में रख मसल दिया, था बड़ा खुद्दार पानी तक ना मांग चल दिया, कब छुपाये से छुपा करता है धब्बा खून का, खटमलों में हो गया दम भर में चर्चा खून का, सुर्ख फौजें आ गई लेने को बदला खून का, चारपाई पर लाल बादल से छा गए, या खुदा इतने खटमल आखिर कहाँ से आ गए. एक ही सफे में हजारों मोटे पतले नौजवान, छोटे मोटे, हट्टे कटते, तंदुरुस्त नौजवान, खटमलों के कहून से लाल दरिया बह गया, हाथ मेरा खटमलों से और खून से सन गया, जाने वो फ़ौज के कर्नल थे या सिपाह सलार थे, भेडिये की नस्ल थे या शेर की औलाद थे, खत्म होने का तो वो नाम ही ना लेते, एक मारो तो हज़ारों रक्तबीज जन्म लेते, खटमलों के वार से हालत मेरी बदल गई, ऐसा लगता था की जैसे अर्थी मेरी निकल गई, खटमल जो थे जैसे नवाब बन गए, अपने वार से मुझको कबाब कर गए, फ़तेह की उम्मीद आखिर मैंने तोड़ दी, दो बजे मजबूर होकर चारपाई छोड़ दी......

सरकारी टेबल

कितना भी विस्तृत हो इनका आकार होते हैं इनके दो ही प्रकार एक , जिनके पास अवलंब हैं चार पर रहते हमेशा निराधार कार्यों कि सूची का बोझ है अपार एक बण्डल इस पार , एक बण्डल निराकार, एक बण्डल जो लगाता है अफसरों के चक्कर हज़ार एक बण्डल जो हर चक्कर के साथ जन्म लेता है हर बार, इनकी महत्ता हर कार्यालय की है शान क्यूंकि जितना इनका हो बोझ ज्यादा समझो उतना ही हो रहा है भारत महान... कार्यालय की शान, उस पर हर अफसर की पहचान, हर दफ्तर की सील विराजमान, शायद इसीलिए कहते हैं.. होगा भारत महान... दो, जिनके पास अवलंब है हज़ार, कार्य है अतिशय फिर भी मारामार, जिस पर काम होता है द्रुतगति से, यदि सहयोग हो पीड़ित का मुद्रा की मति से, इन पर काम चलता है ऊपर और होता है नीचे से, और आकार लेता है मुद्रा के वजन और नीति से, कोई भी वैज्ञानिक सिद्धांत इन पर लागू नहीं होता, ये उठती जाती है ऊपर की ओर जैसे जैसे वजन नीचे का बढ़ता, सरकारी दफ्तर की जान, वजन वाले खुश बाकी हैरान परेशान, अफसर तो अफसर, बन जाता है यहाँ हर गधा पहलवान, महाशय, क्या आप अब भी नही कहेंगे कि होगा भा